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जो हम नहीं हैं / नेमिचन्द्र जैन

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हम वही हैं जो हम नहीं हैं

भाव जो कभी मूर्त न हुए

शब्द जो कभी कहे नहीं गए

जीने की व्यथा में डूबे हुए स्वर

जो ध्वनित नहीं हो पाए

राग नहीं बने

जीवन के अचीन्हे सीमान्त के

चरम क्षण

होने न होने के

अपनी अनन्तता में ठहरे रहे

निरन्तर अपनी अतीन्द्रिय सम्पूर्णता में

जीते रहे

पर बीते नहीं भोगे नहीं गए...


आकार-रूप-हीन आघात

जो बस सहे ही गए

अनजाने-अनचाहे

आँखों की कोरों में

उमड़े हुए आँसू-से अनदीखे

अटके ही रहे झरे नहीं

वही हैं हम

जो नहीं हैं ।


(1963 में दिल्ली में रचित)