जो हुआ उसपे मलाल करके
क्या मिलेगा यूँ बवाल करके
कौन-सा रिश्ता बचा है भाई
बीच आँगन में दिवाल करके
ख़्वाब में माज़ी ने जब दी दस्तक
लौट आया कुछ सवाल करके
इस व्यवस्था ने ग़रीब को ही
छोड़ रक्खा है निढाल करके
वक़्त हैराँ है ज़माने से ख़ुद
एक पेचीदा सवाल करके