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जो हुआ बेताज़ उसके ताज़ की बातें करो / रंजना वर्मा

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जो हुआ बेताज़ उसके ताज़ की बातें करो
दोस्तों अब इक नये अंदाज़ की बातें करो

कैदखाना कर दिया घर औरतों के वास्ते
खोल दो पिंजरा ज़रा परवाज़ की बातें करो

गुनगुनाने पर भी जो बन्दिश लगाते ही रहे
कर उन्हें आज़ाद मीठे साज़ की बातें करो

बेरुखी से इस तरह जाओ नहीं मुँह फेर कर
पास आकर कुछ दिले नासाज़ की बातें करो

डाल कर ताले जुबाँ पर चाहते हो बोल दूँ
जो नहीं गूँजी उसी आवाज़ की बातें करो

जो हुआ अच्छा हुआ आगे बढ़ो ये मान के
और सब होगा भला तुम आज की बातें करो

मिट गया तारीख़ से ग़र नाम भी तो क्या हुआ
भूल कर सब फिर नये आगाज़ की बातें करो