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जौ लों जग में राम जियावैं / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जौ लों जग में राम जियावैं।
जे बातें बरकावै।
हात पाँव दृग-दाँत बतीसउ
सदा एक से राबैं।
ना रिन ग्रेही करै काऊ खाँ
ना घर बनौ मिटावै।
आपुस की बनी नइँ बिगरै
कुलै दाग ना आवै।
इतने में कुछ होय ईसुरी
बिना मौत मर जावै।