चौपाई:-
जबहि तुलना लग्न विचारा। विप्र वेद धुनि कीन्ह उचारा॥
दूमो नृपति दियो अंकवारी। जानि परस्पर पूर्व चिन्हारी॥
कन्यादान नृपति जब कियऊ। बहुत दान विप्रन कंह दियऊ॥
सेंदुर वंद वहोरि कराऊ। जन्म जन्म पर गांठि दिवाऊ॥
कुँअर कुंअरि परदच्छिन कीन्हा। देवन वेणु शंख धुनि कीन्हा॥
विश्राम:-
जंह लागे यज्ञ विधाना सब, धरनी वरनि न पार।
जाननि हारा जानि है, कहो अल्प अनुसार॥240॥