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ज्योति को दुख ने किया पावन / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’

ज्योति को दुख ने किया पावन
सूर्य कण-कण रक्त से सींचा

समय का रथ रथी-सा खींचा
प्लव बना पथ, पथ बना प्लावन

एक उद्बोधन, खुले तारे
एक आश्वासन, बिना हारे

चल पड़ा है, चल रहा जीवन