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ज्योति दा / नासिर अहमद सिकंदर
Kavita Kosh से
ज्योति माने लौ
लपट
ताप और उष्मा का मिश्रण
प्रतीकार्थ में ज्योति माने चमक
रोशनी
उजाला
व्यापकता में
सीधी और सरल रेखा में चलता
प्रकाशपुंज
मुहावरे में
आखों से मिलकर इसका अर्थ
ज्ञान से जुडकर तो सार्थक
एक बिंबात्मक अर्थ यह भी
आकाश का वह हिस्सा
जहाँ सूर्योदय
सामजिक संदर्भ में झिलमिलाहट यह
वैश्विक-परिदृश्य में
जगमगाहट
अब
ताप, उष्मा, चमक, रोशनी, उजाला
जगमगाहट
झिलमिलाहट
सब विशेषण
संज्ञा सिर्फ एक
माने ज्योति
ज्योति दा
ज्योति बाबू !