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झगड़ा कियै बझल छै गामक सिमानपर / बाबा बैद्यनाथ झा
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झगड़ा कियै बझल छै गामक सिमानपर
पहरा कोना लगयबै लोकक इमानपर
द्वेषक छै आगि लेसल धू-धू जरैए बस्ती
नेता कोना हँसैए अप्पन गुमानपर
भूखल मरै छी निशिदिन मेहनति सदति करी
करजोक बोझ बड़का लादल-ए जानपर
नाङट उघार हम छी पहिरब पटोर कोना
संतोष कऽ रहल छी फाटल-पुरानपर
पंचमंजिला भवनमे जिनगी हुनक बितनि
बन्हक पड़ल छी हमसभ ककरो दलानपर
कटुता मेटा ज मोनक एक बनि ने रहबै
एकटा प्रश्न-चिह्न उठतैक गीता-कुरानपर
अपने भवन जरा कऽ सुख-चैन जे तकैए
अफसोच भऽ रहल अछि तेहन नादानपर
अगुआ बनल-ए भारत शान्ति हेतु सदिखन
सभ मन्त्र उड़ि रहल छैक अन्हड़-तूफानपर
ककरो कोना बुझयबै राकस जखन निमन्त्रित
गरदनि सभक छै लटकल धरगर कृपाण पर