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झटपट हमला बोल्या बाघ नै / रणवीर सिंह दहिया

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चन्ना, रमची झलकारी के गांव के ही थे। गांव और जंगल के बीच का फासला अधिक ना था। गांव वालों के लिए जंगल महज जंगल नहीं था। उनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग था जो उनकी रोटी रोजी में सहायक बनता था। यह बात अलग थी कि कभी-कभी इस जंगल में विचरण करने वाले जंगली जानवर गांवों के लोगों को नुकसान भी पहुंचा दिया करते थे। जंगल उनके जीवन में रच बस गया था। एक बार जंगल में झलकारी का सामना एक बाघ से होता है। क्या हुआ भलाः

झटपट हमला बोल्या बाघ नै जिब देखी झलकारी॥
कति नहीं घबराई वा कुल्हाड़ी हांगा लाकै मारी॥
जंगल और गंाव उन बख्तां एक दूजे के पूरक बतलाये
गामौली खातर जंगल सदा फल-फूल देते आये
एक बात न्यारी कदे-कदे उड़ै जंगली जानवर आज्या
दा लाकै गाय भैंस मारदे कदे माणस नै बी खाज्या
नियति मान सन्तोष करैं जिंदगी न्योंए बीतती जारी॥
चन्ना रमची आगे-आगेे झलकारी बी पाछै चाल पड़ी
लाकड़ी काट करी कट्ठी फेर आई वा निरभाग घड़ी
थक हार झलकारी बैठी उसनै नींद की झपकी आई
सुण आवाज हुई चौकस कुल्हाड़ी उसनै ऊपर ठाई
सुण दहाड़ बाघ की चन्ना रमची नै दे दी किलकारी॥
जोश मैं बाघ नै फेर झलकारी पै छलांग लगा दई
बिजली की तेजी सै उनै कुल्हाड़ी साहमी अड़ा दई
बाघ का मुंह खुल्ला था लाम्बे नुकीले दांत दिखाई दें
अगले दोनों पंजे दबोचैं झलकारी नै साफ दिखाई दें
बाघ बख्त पै धोखा खाग्या खून की बही उड़ै फुव्वारी॥
बाघ दहाड़ कै चिल्लाया चन्ना रमची का ध्यान बंट्या
भाज कै आये उड़ै तो देख्या बाघ का माथा पूरा फट्या
घर-घर की आवाज काढ़ै झलकारी कुल्हाड़ी थाम रही
एक और वार कर दिया ना वार दूजी ना काम रही
बाघ पड़या धरती ऊपर, गैलां यो रणबीर लिखारी॥