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झप्प दिल मा इन समै ग्याइ क्वी / पयाश पोखड़ा

झप्प दिल मा इन समै ग्याइ क्वी ।
जिकुड़ि मा दै जन जमै ग्याइ क्वी ॥

बरखा की झुणमुंणाट मा सुरुक कैकि,
द्वि बून्द आंसू का थमै ग्याइ क्वी ॥

चुड़ापट्टि का घाम मा डबकणा रंवा,
स्वीलि घाम ल्हेकि डमै ग्याइ क्वी ॥

मीनत-मजुरि कैरि खून पस्यौ चुऐकी,
मौत दगड़ जिन्दगि कमै ग्याइ क्वी ॥

अफु दगड़ अफि हुंग्रा पुरणा रंवा,
अपणि खुद मा इन रमै ग्याइ क्वी ॥

मेरि माया बस त्वै जनै लगीं छाई,
“पयाश” द्वि हथुल लिमै ग्याइ क्वी ॥