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झरने फूटे / कुँवर दिनेश

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1
झरने फूटे
सावन में नगों के
हौसले टूटे।
2
श्याम या श्वेत
सावन के बादल
हैं अनिकेत।
3
जाएँ किधर?
आकाश में कहाँ है
मेघों का घर?
4
ढूँढते नैन
धुँध में गुम हुआ
मन का चैन।
5
कुहेलिका- सी
सावन में तुम हो
प्रहेलिका- सी!
6
बादल गाँव
आया चाँद बटोही
उड़ते पाँव!
7
सावन आया
बूढ़ा बांज का पेड़
ख़ूब नहाया।
8
झरती बूँदें
बैठी रात अकेली
आँखों को मूँदे।
9
पूनम रात
अकेला पड़ा चाँद
मेघों की घात!
10
घास है घना
कानन कहे यहाँ
आना है मना।