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झापे झुपेरी हे बिराजे, सीरी गोबिंद जी / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में इष्ट देवताओं का आह्वान किया गया है, जिनकी कृपा से दुलहिन का सुहाग अचल रहेगा तथा वह अपने पति को अपनी ओर आकृष्ट कर सकेगी।

झापे<ref>सींक की बनी हुई ढक्कनदार छोटी पिटारी</ref> झुपेरी<ref>सींक की बनी हुई ढक्कनदार छोटी पिटारी</ref> हे बिराजे, सीरी<ref>श्री</ref> गोबिंद जी।
झापे झुपेरी हे बिराजे, सीरी राम जी॥1॥
सीथे<ref>बालों को सँवारकर बनाई हुई रेखा; माँग</ref> सेनुर पिन्हती लाढ़ो, सामी के रीझैती जी।
जलम अहिबात जी॥2॥
झापे झुपेरी हे बिराजे, सीरी गोबिंद जी।
घूँघट से झाँकि झाँकि, बिजुली छिटकैती जी॥3॥
नाके नथिया पिन्हती दुलहिन, सामी के रिझैती जी।
सुख के होयतन बरसात जी, जलम अहिबात जी॥4॥
झापे झुपेरी हे बिराजे, सीरी गोबिंद जी।
झापे झुपेरी हे बिराजे, सीरी राम जी॥5॥

शब्दार्थ
<references/>