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झील का तो वही किनारा है / बाबा बैद्यनाथ झा

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झील का तो वही किनारा है
खूब बचपन जहाँ गुजारा है

पेड़ पौधे जवां अभी भी हैं
झूमता खुश वही नजारा है

हाथ पकड़ो चलो यहाँ घूमें
आज दिल का यही इशारा है

शर्म त्यागो चलो बढ़ें आगे
अब बहाना नहीं गवारा है

प्यार है तो इसे निभा ‘बाबा’
ज़िंदगी का यही सहारा है