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झील पर / निकलाय रुब्त्सोफ़ / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
प्रकाशमयी नीरवता
आकाश से उतरी
और मेरी आत्मा से आ मिली !
ज्ञानवान नीरवता
आसपास फैलेगी
जल ज़मीन को गले लगाएगा
अरे, यह प्रकाश
ख़ामोश जादूगर है
बहादुर और मोहक
श्वेतों के बीच करता है
अपने कृष्ण हंसों को
दुग्ध श्वेत हंस !
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब मूल रूसी भाषा में यह कविता पढ़िए
Николай Рубцов
На озере
Светлый покой
Опустился с небес
И посетил мою душу!
Светлый покой,
Простираясь окрест,
Воды объемлет и сушу
О, этот светлый
Покой-чародей!
Очарованием смелым
Сделай меж белых
Своих лебедей
Черного лебедя — белым!