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झुका-झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं / मजरूह सुल्तानपुरी

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झुका-झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं
बचा-बचा के निशाने लगाए जाते हैं
हुज़ूर जब से मेरे दिल पे छाए जाते हैं
ये हाल है कि क़दम डगमगाए जाते हैं

हमें तो आपकी इस अदा ने लूट लिया
नज़र उठाते नहीं मुस्कुराए जाते हैं
जिन्हें हो इश्क़ ज़ुबाँ से वो कुछ नहीं कहते
ये आप हैं कि मोहब्बत जताए जाते हैं

हमीं से सीखी अदाएँ हमीं पे वार किया
हमारे तीर हमीं पर चलाए जाते हैं
हुज़ूर को मैं दीवाना कहूँ तो फिर क्या हो
कि बिन बुलाए मेरे घर में आए जाते हैं