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झुमका गिरा रे, बरेली के बाज़ार में / राजा मेंहदी अली खान

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झुमका गिरा रे, बरेली के बाज़ार में
झुमका गिरा, झुमका गिरा, झुमका गिरा
हाय हाय हाय
झुमका गिरा रे...

सैंयाँ आये नैन झुकाये घर में चोरी चोरी
बोले झुमका मैं पहना दूँ, आजा बाँकी छोरी
मैं बोली ना ना ना बाबा, ना कर जोरा-जोरी
लाख मनाया, सैंयाँ ने कलैय्याँ नाहीं छोड़ी
हाय कलैय्याँ नाहीं छोड़ी
(फिर क्या हुआ?)
फिर?
फिर झुमका गिरा रे
हम दोनों की तकरार में
झुमका गिरा रे...

घर की छत पे मैं खड़ी, गली में दिलबर जानी
हँसके बोले नीचे आ, अब नीचे आ दीवानी
या अँगूठी दे अपनी या छल्ला दे निशानी
घर की छत पे खड़ी-खड़ी मैं हुई शरम से पानी
हाय हुई शरम से पानी
(फिर क्या हुआ?)
दैया!
फिर झुमका गिरा रे
हम दोनों के इस प्यार में
झुमका गिरा रे...

बगिया में बलमा ने मेरी लट उलझी सुलझाई
थाम के आँचल बोले, गोरी तू मेरे मन भाई
आँख झुका के कुछ ना बोली
कुछ ना बोली हाय, हाय, हाय
आँख झुकाके कुछ ना बोली, धीरे से मुसकाई
सैंयाँ ने जब छेड़ा मुझको, हो गई हाथापायी
हाय हो गई हाथापायी
(अरे, फिर क्या हुआ?)
फिर झुमका गिरा रे
मैं क्या बोलूँ बेकार में
झुमका गिरा रे...

फ़िल्म : मेरा साया (1966)