कोमल हवाएँ
जब
झुरमुटों पर चाँदनी से
मन्द-मन्द 
टकराती हैं।
तो
डालियाँ 
आनन्द से 
नवपल्लवों को 
झूला
झूलाती हैं।
शरद की पूनम में
कलियों का 
स्वर्णिम तन 
और ही ज़्यादा 
खिलता है।
माटी की 
भीनी-भीनी गन्ध में
लेप 
चन्दन का 
जब
मिलता है।