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झुलबा-झूल / परमानंद ‘प्रेमी’
Kavita Kosh से
झूलें नूनू झूलें नूनू झुलबा झूल।
एक हाथों में खेलौना शोभौ दोसरा में फूल॥
कथिके झुलबा कथि केरऽ डोरी
के झुलाबै छौ कौनें गाबै लोरी
कौनें एक हाथों में खेलौना देलकौ?
दोसरा में के देलकौ लाले लाल फूल।
झूलें नूनू झूलें नूनू झुलबा झूल॥
चन्दन के झुलबा रेशम केरऽ डोरी
मांय झुलाबै छौ दादी गाबौ लोरी
बाबां एक हाथों में खेलौना देलकौ
मौसां देलकौ दोसरां में लाले-लाल फूल।
झूलें नूनू झूलें नूनू झुलबा झूल।
‘प्रेमी’ कहै दु-तीन ठो झुलाबऽ
चौथा क’ नैहें जनमाबऽ
दोसरा के’ तब’ तों झुलाबऽ
पहिलऽ जाय जब’ स्कूल।
झूलें नूनू झूलें नूनू झुलबा झूल॥