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झूठ-मूठ का खेल / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
यह छोटी-कार है,
मगर धमाकेदार है।
जल्दी टिकट कटाओ जी,
चलने को तैयार है!
इधर खड़ी यह रेल है,
कैसी रेलम-पेल है।
करो बैठने का नाटक,
झूठ मूठ का खेल है।