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झूठ-मूठ संवेदणा / पूनम चंद गोदारा
Kavita Kosh से
म्हैं जाणु'क
कितौ'क सौरो अर
कितौ'क दौरो है
जीवण किरसै रौ
किरसै री किस्मत
जुवौ है
जठै रोजीना बीनै
चालणो पड़ै
तुटयोड़ा काचां माथै
सोवणो पड़े
भीष्म सैया माथै
थै नीं लिख सकौ
ए.सी. कमरा रै
मखमली सोफां माथै बैठ
किरसै री अबखायां
थै नीं लिख सकौ
बींरै लीर-लीर हिरदै स्यूं
उठतै दर्द रा भतूळ
कर्ज स्यूं तुटयोड़ी हीक
बजन स्यूं चाल
थै फगत
लिख सकौ झूठ-मूठ
संवेदणा !