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झूठ / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
ट्रेन में
खाली गलियारे में
दौड़ती बच्ची ने
अचानक पूछा
'दादी जी,
धूप कहाँ रहती है?'
'जंगल में।'
'जंगल में कौए क्या खाते हैं?'
'अमरूद।'
'अमरूद पक जाने पर
जंगल क्या क्रता है?'
'गिलहरी के साथ खेला करता है।'
'दौड़ती गिलहरी जब थक जाती है, दादी जी,
वह कहाँ सोती है?'
'दादी की गोद में।'
'भकऽ
झूठ, दादी तो मेरी है।'
ट्रेन के बाहर
जंगल ऊंघ रहा है
धूप दादी की गोद में
सोई है थकी हुई
बच्ची के साथ।