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झोंटा / तादेयुश रोज़ेविच
Kavita Kosh से
जब सारी स्त्रियों की
जो गाड़ी से लाई गई थी
तो चार मज़दूरों ने भूर्ज की टहनियों से बने झाड़ू से
बुहारा और
बाल इकठ्ठा किए
साफ़ काँच के नीचे
रखे हैं उनके सख़्त बाल जिनका दम घुटा
गैस-चैम्बरों में
जिन बालों में फँसी हुई हैं पिनें
और हड्डियों से बनी कंघियाँ
और रौशनी उनके पार नहीं जाती
हवा उन्हें अलगा नहीं पाती
हाथ उन्हें नहीं छूते
न बारिश, न होंठ
बड़े-बड़े सन्दूकों में
घुमड़ते हैं सूखे बाल
दम-घुटों के
और एक बदरंग झोंटा
फीते से बन्धी एक झुँटिया
जिसे स्कूल में खींचते थे
शरारती लड़के