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टाटी फाटी के चाहरदीवारी / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
टाटी-फाटी के चाहरदीवारी
आऊर छप्पर के छत
सूते लागी एगो खटोला
ओई में दुनू परानी रहथ।
तनिके दिन में ननका-मनका
आऊर हो गेल चुनमुनिया
कहाँ सुताएव, की खिआएब
सोचइत दुनु परानी रहथ।
दिन-भर काम करइते बीतल
मार-भात जोगईते बीतल
तइयो केकरो पेट भरल न
कहइत दुनु परानी रहथ।
दिन बीतल समय बीतल
आऊर बीतल जवानी
चुनमुनिया के बियाह केना होएत
बिचारइत दुनु परानी रहथ।
सौ-सैकरा कोन पूछइअऽ
अब मंगईअऽ हजरिया
ई छंउरी के बिआह केना होएत
कनइत दुनु परानी रहथ।
सोलह बरिस के चुनमुनिया
बत्तीस-बरिस के वर
टोला-महल्ला ठट्ठा मारे
लजाइत दुनु परानी रहथ।
एक-एक पइसा ला मुंह तकइत उ
बेटी आखिर बेच देलक
कइसे केकरो अब मुँह देखाएब
गराने दुनु परानी रहथ।