भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टापर बनाम जोकर / बालकृष्ण गर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुत्ते से यों बोला बंदर-
‘बनना हो यदि टापर,
एक छ्लांग लगा फुरती से-
चढ़ो पेड़ के ऊपर!’
कुत्ता बोला- ‘ नहीं तुम्हारे-
जैसा बनना टापर,
उछल-कूद तुम करते ऐसी,
ज्यों सरकस का जोकर’।
[रचना: 11 अक्तूबर 1996]