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टाबर भगवान हुवै ! / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
टाबर अणजाण हुवै
रीत-कायदो
कद जाणै!
टाबर नासमझ हुवै
दुनियांदारी
कांई समझै!
टाबर भोळो हुवै!
टाबर भगवान हुवै!!