भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टाबर - 12 / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टाबर हांसै-मुळकै
अर
करै मीठी-मीठी बातां

टाबर
सदांईं बोलै
सांच

आपां
टाबरां सूं सीखां
आपां
टाबरां ज्यूं दीखां।