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टिल्लो / मोहम्मद सद्दीक
Kavita Kosh से
कुण जाणै
कद कुण
मिनखां जूण नै
ऊंचली टेकरी स्यूं टिल्लो दियो।
टिल्लो लागताईं
मानखो दड़ो दाईं
गुड़तो-रूड़तो गुलेची खावतो
आवतो जावै
ऊपर ऊं नीचली ठौड़ पण जिक्को पगां पांण
आपरी हिम्मत रै तांण
मारगै रै भाटा ठिडां ऊं
भचभेड़ो खाय
अड़ै, लड़ै, अटकै
चाल पड़ै सामो सामनो करणनै
ऊंचली ऊंचाई कानी
जाय बैठै टेकरी री छाती माथै
गीतां नै गुंजाणनै
अळगोजा बजाण नै।