भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टीचर / लक्ष्मी खन्ना सुमन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बड़ी सयानी कहे कहानी
पहने कपड़े सुंदर
मम्मी से बस थोड़ी छोटी
मेरी अच्छी टीचर

खेल खिलाती सबको मिलजुल
मीठा गाना गाकर
कहती सब दुहराओ बच्चो
अपने हाथ हिलाकर

छुक-छुक, छुक-छुक रेल चले जब
वह इंजन बन जाती
चलते-चलते 'सिग्नल' पाकर
रेल ज़रा रुक जाती

दिल्ली से कलकत्ता पहुँची
इक-इक कर सब उतरो
फिर उस 'स्टेशन' से चढ़ जाओ
पीछे-पीछे पकड़ो

अच्छे चित्र बनाए सबने
सब आकर 'गुड' ले लो
टिफन सभी अब खाओ अपना
फिर मिल बाहर खेलो

छुट्टी है अब बना कतारें
सब बस पर चड़ जाओ
खुश-खुश अब घर जाते-जाते
झूम-झूम कर गाओ