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टीस / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
अहाँ
हमर मोनकें
मोन नहि
काँच बुझलहुँ
बेर-बेर
काँच जकाँ चनकाबैत रहलहुँ
मोनकें
जाधरि एकसरि नहि भऽ गेलहुँ हम
ताधरि हमरा नहि छोड़लहुँ अहाँ
मुदा,
एकसर भइयो कऽ
एकसर कहाँ छी?
अहाँक देल घाओ
आइयो
रहि-रहि कऽ मारैत अछि
टीस।