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टीस / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
मामला टीस का ना हो
तो बेहतर
पर कम या ज्यादा
मामला टीस का ही है
उखडती है टीस
तो दर्द देती है
दबी रहती है
तो कहीं ज्यादा दुख देती है
तमाम खुशगवारियाँ कहीं पीछे रह
जाती हैं
सदा से बियाबान धरती का क्या क्हना
तारों भरा आकाश
भी इसके रहते सूना लगने लगता है
ना चाँद से काम निकलता है
ना तारें ही काम आते हैं
कभी कम
कभी ज्यादा
टीस हाज़िर है भीतर हमेशा।