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टुकड़ा है एक / रमेश रंजक
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आक्षितिजी नील गगन दिन का
टुकड़ा है एक आलपिन का ।
आक्षितिजी नील गगन दिन का
बित्ते भर धूप का उछलना
केवल तारीख़ का बदलना
भोर : नया गीत पड़ोसिन का
टुकड़ा है एक आलपिन का ।
दोपहरी : मेज़ की कहानी
सन्ध्या : रस भरी परेशानी
सूर्य : थमे सागर का तिनका
टुकड़ा है एक आलपिन का ।