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टूटती कठौती / कुमार रवींद्र
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बाबा की आशीषें-पीर की मनौती
पुरखों के साथ गईं
बस बची बुढ़ौती
पिछली कोठरिया में
टूटी इक खटिया
दादा का हुक्का
या दादी की मचिया
बाक़ी है यही रही सारी ठकुरौती
देवठान में जाकर
दीप कौन बाले
पंचों की आपस में
शतरंजी चालें
चौखट को नई उमर दे रही चुनौती
बेच आए लोग
कथा-वार्ता पुरानी
घर-घर में होती है
झूठ की कहानी
सुनती है कोने में टूटती कठौती