भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टूटल नैया टूटल करुआरि / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

टूटल नैया टूटल करुआरि
ओहि नैया चढ़ल समधिन छिनारि हो लाल
खेबि-खेबि समधी लय गेल मझधार हो लाल
बीचे रे यमुना मे छिनरो से माँगय लागल दान हो लाल
जओँ हम जनितहुँ रे दैवा समधी होयता घटवार हो लाल
खोइछा कऽ लितहुँ पाकल पान सेहो करितहुँ दान हो लाल
नहि लेब पाकल पान नहि लेब दान
लेबऽमे आहे समधिन ओही दुनू यौवन हो लाल
कानय लगली समधिन छिनरो पटवर धुनय केश हो लाल
कथी लय दैबा सिरजल नेमुआ सन यौवन हो लाल
हँसय लगला समधी रसिया मुख गुआ पान हो लाल
हमरे लेल सिरजलक दैवा टिकोलबा सन यौवन हो लाल