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टूटे सपने / देवी नांगरानी
Kavita Kosh से
मदहोश मधुर ख़्वाब
पलकों पर सजे
जाने कब, क्यों, कैसे
टूटकर बिखरे, जाना तब
जब आँखों में
कर्चियाँ चुभन बनकर समा गईं