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टूटे हुए ख़्वाबों ने हमको ये सिखाया है / शैलेन्द्र

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टूटे हुए ख़्वाबों ने, हमको ये सिखाया है
दिल ने, दिल ने जिसे पाया था, आँखों ने गंवाया है
टूटे हुए ख़्वाबों ने

हम ढूँढते हैं उनको, जो मिलके नहीं मिलते
रुठे हैं न जाने क्यूँ, मेहमान मेरे दिल के
क्या अपनी तमन्ना थी, क्या सामने आया है
दिल ने, दिल ने ...
टूटे हुए ...

लौट आई सदा मेरी, टकरा के सितारों से
उजड़ी हुई दुनिया के, सुनसान किनारों से
पर अब ये तड़पना भी, कुछ काम न आया है
दिल ने, दिल ने ...
टूटे हुए ...