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टूटे हुए दिल की है, बस इतनी सी कहानी / श्रद्धा जैन

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शीशे के बदन को मिली पत्थर की निशानी
टूटे हुए दिल की है बस इतनी-सी कहानी

फिर कोई कबीले से कहीं दूर चला है
बग़िया में किसी फूल पे आई है जवानी

कुछ आँखें किसी दूर के मंज़र पर टिकी हैं
कुछ आँखों से हटती नहीं तस्वीर पुरानी

औरत के इसी रूप से डर जाते हैं अब लोग
आँचल भी नहीं सर पे नहीं आँख में पानी

तालाब है, नदियाँ हैं, समुन्दर है पर अफ़सोस
हमको तो मयस्सर नहीं इक बूंद भी पानी

छप्पर हो, महल हो, लगे इक जैसे ही दोनों
घर के जो समझ आ गए ‘श्रद्धा’ को मआनी