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टूट गई रात / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
चुपके से आ बैठी याद
टहनी-सी टूट गई रात
दर्द भरे सीले-सीले
पलकों के डैने गीले
खोल गए बरसों की बात
टहनी-सी टूट गई रात
बूँद नए मन्त्र बोलती
तनहाई घर टटोलती
प्राण हरे बैरिन बरसात
टहनी-सी टूट गई रात