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टूट गेलो अभिमान / सिलसिला / रणजीत दुधु

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कुरसी पर अन्हराल हला हटते होली ज्ञान

सत्ता सुख में भूल गेला हल तहुँ हका अदमी
कइसे कइसे बोलऽ हला बन करके बेशरमी
चपलूसवन से घिर करके बनला हल अनजान
टूट गेलो अभिमान-2

माँगे गेलुँ हल रोटी तऽ खिलवइला हल लाठी
कतना ऊँच्चा हल तखने तोहर कद काठी
कहला हल न´ पुरा करथुन तोर माँग भगवान
टूट गेलो अभिमान-2

अब तोहर बोलिया के न´ तनिको कोय सुनतो
दोसर के बात मान लेतो तोरा न´ गुनतो
जतना पहिले देलको ओतना देतो न´ मान
टूट गेलो अभिमान-2