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टूट जाये जो कभी प्यार वो रिश्ता ही नहीं / रंजना वर्मा

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टूट जाये जो कभी प्यार वो रिश्ता ही नहीं
मर के भी जिंदा रहे ऐसा तो देखा ही नहीं

की न कश्ती है हवाले कभी जो मौज उठी
कितने तूफ़ान छुपे हैं कभी जाना ही नहीं

जब भी नजरें उठीं बस साथ मे तन्हाई रही
तू भी तो साथ था मेरे कभी समझा ही नहीं

बारहा है तलाश में फ़लक पे घूम लिया
अपनी किस्मत का मगर कोई सितारा ही नहीं
 
जो भी चाहे जरा आईने से ये पूछ तो ले
सच ही बोलेगा कभी झूठ वो कहता ही नहीं

आरजू मर गयी दिल की जमीन सूख गयी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं

दिल के दरवाजे खुले रक्खे दिनों रात मगर
जाने क्या तुझ को हुआ तू कभी आया ही नहीं