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टेढ़ी मेढ़ी चाल / अर्पिता राठौर
Kavita Kosh से
मुझे
सीधा चलने से
परहेज़ नहीं है
मगर
ऐसे टेढ़े मेढ़े
चलने से
टेढ़ा मेढ़ा चलने लगता है
चान्द भी ।
युगों युगों से
सीधी चली आ रही
सड़क में भी
आ जाता है
हल्का-सा टेढ़ापन
और इसी टेढ़ेपन में
ज़िन्दा रह जाते हैं
कुछ मुहावरे
बिखराव के ।