भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टोपी का गीत / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गोल-गोल गुल्ली-गुल्ली,
फूलदार फुल्ल-फुल्ली,
आ हा! नई टोपी लाल
राजा भैया की।

पहले तो मुइयाँ
धुलाएगा भैया,
फिर टोपी सिर पर
लगाएगा भैया,
जा-जा के सबको
दिखाएगा भैया,
टोपी दिखेगी कमाल
राजा भैया की।

टोपी के फुँदने
हाँ, जब-जब हिलेंगे,
भैया के मनवा के
फुलवा खिलेंगे,
नखरीले पउऊाँ
न सीधे पडे़ंगे,
बदलेगी पल-पल में चाल
राजा भैया की।