ट्रेफिक सिगनल का सिपाही / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
ट्रेफिक सिगनल पर ड्यूटी थी,
भूरे गधे सिपाही की।
समय निष्ठ थे, थे चौकन्ने,
कभी न लापरवाही की।
ट्रेफिक सिगनल के नियमों का,
पालन रोज़ कराते थे।
नियम तोड़ने वालों को वे,
कड़ा दंड दिलवाते थे।
भालू चीता हिरण मोर सब,
सिगनल से घबराते थे।
हरा रंग जब तक ना आये,
पग भी नहीं बढ़ाते थे।
मजबूरी में शेर सिंह भी,
सिगनल पर गुर्राते थे।
नियम तोड़ने की हिम्मत पर,
वे भी ना कर पाते थे।
किंतु एक दिन चूहे राजा,
शहर घूमने जब आये।
बिना किसी की रोक टोक के,
चौराहे पर मस्ताये।
एक सड़क से सड़क दूसरी,
पार दनादन कर डाली
वह समझे इस गधेराम का,
भेजा तो होगा खाली।
किंतु एक बस ने जब उनको,
चटनी जैसा था पीसा,
स्वर्ग लोक को चले गये वे,
बिना ख़र्च धेला पैसा।
भूरा गधा सिपाही अब तो,
बच्चों को समझाता है।
चूहे का जो हाल हुआ था,
वह उनको बतलाता है।