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ठगिनी नाच नचाए / राम सेंगर

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नाकाफ़ी-सा लगे
कहन का
तेवर नया - नया ।

धरम अहम् का
सधे न साधे
ठगिनी नाच नचाए ।
बाल नौंचता डोम
सुअर
तड़पे चीख़े चिल्लाए ।
धर-धर कर पुड़ियों में बाँटें
नँगे, शर्म-हया ।

फूट असँगति से
लहकें
सब तलब उड़ी बजमारी ।
फाँक-फाँक से बचे
समय की
झेली हर मक़्क़ारी ।
युद्धस्तर पर उतर पड़े हैं
बन्दर और बया ।

नाल-छातियाँ -
बूट-केंचुए -
आँखें बहेलियों की ।
जनबच्चों से
लगे खोलने
गाँठें पहेलियों की ।
मोम झोंपड़ी की दिवाल का
पूरा पिघल गया ।

नाकाफ़ी-सा लगे
कहन का
तेवर नया-नया ।