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ठहराव जिंदगी में दुबारा नहीं मिला / देवी नागरानी

ठहराव जिंदगी में दुबारा नहीं मिला
जिसकी तलाश थी वो किनारा नहीं मिला|

वर्ना उतारते न समंदर में कश्तियां
तूफान आया जब भी इशारा नहीं मिला|

हम ने तो खुद को आप संभाला है आज तक
अच्छा हुआ किसी का सहारा नहीं मिला|

बदनामियां घरों में दबे पांव आईं
शोहरत को घर कभी भी, हमारा नहीं मिला|

खुशबू, हवा और धूप की परछाइयां मिलीं
रौशन करे जो शाम, सितारा नहीं मिला|

खामोशियां भी दर्द से ‘देवी’ पुकारतीं
हम-सा कोई नसीब का मारा नहीं मिला|