ठाडी रह री लाड गहेली मैं माला सुरझाऊं।
नक बेसर की ग्रंथि जो ढीली, ता सुभग बनाऊं॥
ऐरी टेढी चाल छांडि मैं सूधी चलनि सिखाऊं।
'वृंदावन' हित रूप फूल की, माल रीझ जो पाऊं॥
ठाडी रह री लाड गहेली मैं माला सुरझाऊं।
नक बेसर की ग्रंथि जो ढीली, ता सुभग बनाऊं॥
ऐरी टेढी चाल छांडि मैं सूधी चलनि सिखाऊं।
'वृंदावन' हित रूप फूल की, माल रीझ जो पाऊं॥