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ठीक उसी समय / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
चलते-चलते
मेरे पाँव
थक गए हैं
पर मेरा
मन नहीं थकता
जब भी मैं
यह अहसास करती हूँ
कि मेरा प्यार
मेरे करीब आ गया है
तभी वह कहीं ओझल हो जाता है
दूर हो जाता है
अपने पाँव में
पंख बांधकर।