भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ठीक नहीं चोरी का काम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इ ट्टू बिट्टू किट्टू राम,
तोड़ लाए चोरी से आम।
पकड़े गए मगर तीनों,
चुका दिए चुपके से आम।
बोले चाचा माफ़ करो,
नहीं करेंगे अब यह काम।
नहीं बताना बापू को,
अम्मा को हम सबके नाम।
चाचा बोले नहीं चाहिए,
बच्चों तुमसे कुछ भी दाम।
वादा कर लो चोरी का,
नहीं करोगे फिर से काम।