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ठीक नहीं है मूर्ख बनाना / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
चुहिया रानी रंग-बिरंगी,
स्वेटर बुनकर लाई।
बड़े प्रेम से अपने भाई,
चूहे को पहनाई।
वह भी निकली बड़ी शान से,
सिर पर ओढ़ रजाई।
उन्हें समझकर कोई एलियन,
बिल्ली तक घबराई।
चूहा-चुहिया दोनों ने ही,
पथ पर धूम मचाई।
दौड़ लगाकर डर के मारे,
भागे कुत्ताभाई।
तभी छछूंदर काकाजी ने,
समझी यह चतुराई।
चूहे की स्वेटर व चुहिया की,
वह रजाई हटाई।
पकड़े गए चूहे-चुहियाजी,
प्रकट हुई सच्चाई।
फिर दोनों की ख़ूब धमाधम,
कसकर हुई पिटाई।
धोखा देना मूर्ख बनाना,
ठीक नहीं है भाई।
ऐसे लोगों की आख़िर में,
होती जगत हंसाई।