जिनका जन्म हुआ, वे मरना नहीं चाहते
ठीक है
वे खाते हैं और सन्तुष्ट नहीं होना चाहते
और फिर से खाते हैं
ठीक है
लेकिन वक़्त आने पर वे मरते हैं और गड्ढे में गिर पड़ते हैं
और उनकी जगह
दूसरे लोग आ जाते हैं, उनकी चादर पर सोते हैं और
उनकी थालियों से छककर खाते हैं
ठीक है
जो होना है, होता है, आख़िर क्यों
कुछ और हो ?
ज़्यादा मत चीख़ो
किसी इनसान के लिए, उसका
जन्म हुआ और फिर
उसे जाना है और कोई चारा नहीं
और तुम भी
बदहाल मत हो जाओ, क्योंकि तुम्हें भी
जल्द ही जाना है !
किसी इनसान के लिए चीख़ते हो
क्या उसे जाना ही था ?
ठीक नहीं है !
जो होता है, वो नहीं होना है
उसे बदलो
अपनी थाली किसी को मत दो
आख़िर क्यों ?
कुछ भी ठीक नहीं, जिसे इनसान
ठीक न करे ।
ना-इनसाफ़ी है
पानी की तरह
बदक़िस्मती छा जाती है
धूप की तरह
इनसान इनसान को बोटी-बोटी कर देता है
जिस तरह मछली मछली को खा जाती है
ऐसा ही है और फिर
ठीक ही है
ना-इनसाफ़ी के हम
आदी हो चुके हैं पानी की तरह
ठीक नहीं है
और धूप भी क़ायदे से नहीं छा जाती है
हमारी बदक़िस्मती की तरह
ठीक नहीं है
इनसान इनसान को बोटी बोटी कर देता है
यह ठीक नहीं, ठीक नहीं, ठीक नहीं, ठीक नहीं !
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य