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ठूँठ अभी ठूँठ होना था / गगन गिल
Kavita Kosh से
मेरा ख़याल था
ठूँठ अभी ठूँठ होगा
मगर मेरे पहुँचने तक
वह हरा-भरा पेड़ था
हमदर्दी उसे नहीं
मुझे चाहिए थी
1979